नहीं रहे हिमाचल की सियासत के धुरंधर पंडित सुखराम: चुनावों में जीत का रिकॉर्ड, पर केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रहते एक ऐसा दाग लगा जो जिंदगीभरा नहीं मिटा
Former Union Minister Pandit Sukh Ram passes away
Pandit Sukh Ram Death : हिमाचल की सियासत के धुरंधर पंडित सुखराम का निधन हो गया है| इसकी जानकारी उनके बेटे अनिल शर्मा द्वारा दी गई है| पंडित सुखराम की उम्र करीब 94 साल की थी और वह काफी लंबे समय से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे| दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था| पंडित सुखराम के जाने से राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है| पंडित सुखराम इस समय कांग्रेस पार्टी में थे| पंडित सुखराम के निधन पर राहुल गांधी ने दुःख जताया है|
राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा- कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री, पंडित सुखराम जी के निधन की ख़बर बेहद दुखद है। मैं उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं प्रकट करता हूं। वहीं, कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से पंडित सुखराम के निधन पर शोक जताते हुए कहा गया- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंडित सुखराम जी के निधन से कांग्रेस परिवार को गहरा आघात लगा है। कांग्रेस परिवार की तरफ से उनके परिजनों व प्रियजनों के प्रति शोक संवेदनाएं।
हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर ने भी दुःख जताया...
इधर, हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर ने भी पंडित सुखराम के निधन पर दुःख व्यक्त किया| सीएम जयराम ठाकुर ने ट्वीट करते हुए लिखा- मंडी से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ नेता पंडित सुखराम जी के देहांत की खबर सुनकर दुःखी हूं। राजनीतिक क्षेत्र में उनका अहम योगदान रहा है,जिसे सदैव स्मरण किया जाएगा। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोकग्रस्त परिवार जनों को संबल प्रदान करें। ॐ शांति! बतादें कि, पंडित सुखराम के बेटे अनिल शर्मा भी राजनीति में हैं| वर्तमान में अनिल शर्मा मंडी विधानसभा में भाजपा से विधायक हैं|
हिमाचल की सियासत के धुरंधर थे पंडित सुखराम....
पंडित सुखराम का जन्म 27 जुलाई 1927 को हिमाचल प्रदेश के कोटली में एक साधरण परिवार में हुआ था| लेकिन पंडित सुखराम ने आगे चलकर सारी तस्वीर बदल दी| पंडित सुखराम ने 1963 से सियासत में अपने पैर जमाये| उन्होंने मंडी से अपना सियासी सफर शुरू किया। 1963 से 1984 तक वह इस सीट पर विधायक रहे। सुखराम के सियासी कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पांच बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा चुनाव जीता था। 1984 में पंडित सुखराम पहली बार यहीं से लोकसभा के लिए चुने गए और आगे फिर से दो बार यहीं से लोकसभा चुनाव जीता| पंडित सुखराम को हिमाचल की सियासत का धुरंधर माना जाता है|
केंद्रीय दूरसंचार मंत्री बने ....
साल 1993 का समय था जब पंडित सुखराम उस समय देश में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में केंद्रीय दूरसंचार मंत्री बने| पंडित सुखराम 1993 से 1996 तक केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रहे| पंडित सुखराम का दूरसंचार सेवा में बदलाव लाने का योगदान माना जाता है| लेकिन 1996 में केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रहते उनपर घोटाले का दाग लग गया| जिसने जिंदगी भर उनका पीछा नहीं छोड़ा| साल 2011 में उन्हें इस घोटाले के आरोप में 5 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
भाजपा में भी आये फिर कांग्रेस में वापसी...
बतादें कि, पंडित सुखराम पर घोटाले का दाग लगने पर कांग्रेस ने उन्हें निष्कासित कर दिया था| जिसके बाद उन्होंने अपनी खुद की पार्टी बनाई| पंडित सुखराम ने हिमाचल विकास कांग्रेस का गठन किया| लेकिन बाद में 2004 में वह फिर कांग्रेस में आ गए| इसके बाद 2017 में पंडित सुखराम बीजेपी में शामिल हुए| लेकिन 2019 में पंडित सुखराम ने कांग्रेस में वापसी कर ली|